ज़ोंगजियाओ लुकांग में शीत्सांग के जनसंगीत समारोह की भावपूर्ण प्रस्तुति
20 दिसंबर को शीत्सांग स्वायत्त प्रदेश की संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के तत्वावधान में तथा शीत्सांग स्वायत्त प्रदेश जन-कलाभवन (स्वायत्त क्षेत्र अमूर्त सांस्कृतिक विरासत संरक्षण केंद्र) द्वारा आयोजित “शीत्सांग स्वायत्त प्रदेश की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ गेसांग फूल प्रदर्शन सत्र—नववर्ष स्वागत ‘हमारे त्योहार, सितारों की बहार’ जनसंगीत समारोह” का यहाँ शुभारंभ हुआ।
इस संगीत समारोह की मुख्य धारा चीनी राष्ट्र की साझा सामुदायिक चेतना को सुदृढ़ करने पर केंद्रित रही। नववर्ष के अवसर पर “पुराने को विदा, नए का स्वागत और परिवारिक एकता” जैसी साझा सांस्कृतिक भावनाओं को केंद्र में रखते हुए कार्यक्रम को तीन क्रमबद्ध और भावनापूर्ण संगीत खंडों में प्रस्तुत किया गया। प्रस्तुति की सामग्री जहाँ एक ओर शताब्दियों पुरानी शीत्सांग संगीत परंपरा में गहराई से निहित रही, वहीं उसमें नए युग की विकासशील ऊर्जा का भी समावेश किया गया। एकल गायन, युगल गायन, लोकवाद्य समवेत प्रस्तुति और बाल शीत्सांग ओपेरा जैसी विविध कला विधाओं के माध्यम से विभिन्न जातीय समुदायों के लोगों ने पार्टी और मातृभूमि के प्रति अपनी कृतज्ञता को भावपूर्ण ढंग से व्यक्त किया तथा शीत्सांग में बीते साठ वर्षों के ऐतिहासिक विकास और सामंजस्यपूर्ण, सुखी जीवन के जीवंत चित्र को सशक्त रूप से प्रस्तुत किया।
संगीत समारोह स्थल पर शीत्सांग स्वायत्त प्रदेश जन-कलाभवन के प्रशिक्षण एवं नियमित कक्षाओं से जुड़े प्रशिक्षार्थी मंच के प्रमुख आकर्षण बने। जन-कलाभवन के प्रभारी गेसांग वांगझा ने बताया कि, “कार्यक्रम में भाग लेने वाले अधिकांश कलाकार हमारे संस्थान द्वारा प्रशिक्षित वरिष्ठ, मध्यम और युवा आयु वर्ग के छात्र हैं। हम प्रत्येक सप्ताह पेशेवर शिक्षकों को आमंत्रित कर संगीत, शीत्सांग ओपेरा सहित विभिन्न कलाओं में शून्य से व्यवस्थित प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। कई प्रशिक्षार्थियों ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। उदाहरणस्वरूप, पिछले वर्ष आयोजित ‘चीन बाल पारंपरिक रंगमंच शियाओ मेइहुआ महोत्सव’ में हमारे छात्रों ने ‘शियाओ मेइहुआ’ व्यक्तिगत सम्मान प्राप्त किया।”
जानकारी के अनुसार, यह संगीत समारोह शीत्सांग की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उत्कृष्ट कलात्मक कृतियों के आधार पर आयोजित किया गया, जिसमें जनसामान्य को प्रिय संगीत रूपों के माध्यम से विभिन्न जातीय समुदायों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आपसी मेल-मिलाप के सजीव दृश्य प्रस्तुत किए गए।
