शीत्सांग के सांगरी जिला में पुराने मकान सुधरे, जनता की खुशी नए स्तर पर
हाल ही में, शीत्सांग स्वायत्त प्रदेश के शाननान शहर के सांगरी जिले के रोंग ग्राम के बालांग गांव में रहने वाली गांववासी वेसे ने उत्साह के साथ फ्रिज से पेय पदार्थ निकालकर निरीक्षण के लिये आए कर्मचारियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। वेसे ने कहा कि,“नये मकान में रहने के बाद मेरे मन को तसल्ली मिली ।”
मकान का मुख्य भाग कंक्रीट फ्रेम संरचना का है, निर्माण क्षेत्र मानकों के अनुरूप है, और मकान का बाहरी मुख साफ़-सुथरा और एकरूप है...... निरीक्षण सूची में प्रत्येक आइटम पर एक-एक करके टिक लगने के साथ, वेसे का 400 वर्ग मीटर का शीत्सांग शैली मकान अब आधिकारिक रूप से सौंपने के लिए तैयार है।
बालांग गांव में प्रवेश करते ही, ढ़ांचे वाली शीत्सांग शैली की इमारतें गांव की सड़क के दोनों ओर कतार में खड़ी नजर आती हैं। इस के पहले, वेसे का सात सदस्यीय परिवार पत्थरों से बने मकान में तंगहाल रहता था, जिसकी दिवारों में दरारें पड़ गई थीं। वेसे ने बताया कि,“ सभी परिवार के सदस्य ऐसे माकन में रहते हुए मुझे हमेशा चिन्तित महसूस होता था।”
स्थिति में सुधार का अवसर सामने आया। मई 2025 में, सांगरी जिले ने बालांग गांव में नवाचार ढंग से आवास सुधार अनुदान परियोजना शुरू की, जिससे पूरे गांव में 29 परिवारों को प्रत्येक को 80 हज़ार युआन की आर्थिक सहायता प्रदान की गई।
“ग्राम और गांव के अधिकारी घर-घर जाकर नीति को स्पष्ट रूप ले समझाते थे।”वेसे ने पत्रकारों को बताया कि उनके परिवार में पहले से मकान सुधार की योजना थी, और यह अनुदान परियोजना उनके लिए “सही समय पर आई बारिश” जैसी साबित हुई।
गाँव में लोग अपने-अपने घर बना रहे हैं, लेकिन हर परिवार की स्थिति अलग है। ऐसे में हर घर को संतुष्ट कैसे किया जाए? रोंग ग्राम के पार्टी सचिव साङदान लोब ने अपना “अचूक उपाय” प्रस्तुत किया—एकरूप नियोजन और स्वनिर्माण। एकरूप नियोजन का अर्थ है कि सरकार एक समान डिज़ाइन तैयार करती है, जिससे मकान सुरक्षित, उपयोगी और स्वरूप में सामंजस्यपूर्ण हों। वहीं, स्वनिर्माण का मतलब है कि किसान स्वयं निर्माण करें—निर्माण दल बुलाएँ या न बुलाएँ, किसे बुलाएँ, किस मूल्य पर बुलाएँ—यह सब गाँववाले स्वयं तय करते हैं।
“न सरकार सब कुछ अपने हाथ में लेती है, न ही गाँववाले अव्यवस्थित ढंग से निर्माण करते हैं, इसलिए सब लोग संतुष्ट हैं।” साङदान लोब ने कहा कि“एकरूप नियोजन और स्वनिर्माण” की यह पद्धति न केवल “सरकार करे और जनता देखे” जैसी असहज स्थिति से बचाती है, बल्कि यह गाँववालों की मुख्य भूमिका का सम्मान भी करती है और उनके घर बनाने की सक्रियता और रचनात्मकता को भी प्रोत्साहित करती है।
भविष्य की बात करते हुए वेसे की आंखों में आशा झलक रही थी। उसने बताया कि,“आगे चलकर हम अपने हाथों से जीवन को और बेहतर बनाने में ठोस कदम उठाएंगे ।”