चीन ने जापान से अपनी गलत टिप्पणी वापस लेने का आग्रह किया और जापानी सैन्यवाद के पुनरुत्थान की अनुमति न देने पर जोर दिया

(CRI)08:48:33 2025-11-19

चीनी विदेश मंत्रालय के एशियाई मामले विभाग के निदेशक ल्यू चिनसोंग ने 18 नवंबर को पेइचिंग में जापानी विदेश मंत्रालय के एशिया-ओशिनिया मामले ब्यूरो के निदेशक मासाकी कनाई के साथ परामर्श किया। उस दिन विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने आयोजित एक नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में संबंधित जानकारी का परिचय दिया और कहा कि परामर्श के दौरान, चीन ने एक बार फिर जापानी प्रधानमंत्री साने ताकाइची की चीन संबंधी गलत टिप्पणियों के संबंध में जापान के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया, तथा जापान से अपने गलत बयानों को वापस लेने का आग्रह किया।

माओ निंग ने कहा कि साने ताकाइची की भ्रांतियां अंतर्राष्ट्रीय कानून और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी मानदंडों का गंभीर उल्लंघन करती हैं, युद्ध के बाद की अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को गंभीर रूप से नष्ट करती हैं, एक-चीन सिद्धांत और चीन-जापान चार राजनीतिक दस्तावेजों की भावना का गंभीर उल्लंघन करती हैं, चीन-जापान संबंधों की राजनीतिक नींव को मौलिक रूप से नुकसान पहुंचाती हैं, इनका प्रभाव अत्यंत गंभीर हैं, जिससे चीनी लोगों में सार्वजनिक आक्रोश और निंदा भड़कती है।

प्रवक्ता के अनुसार, चीन ने जापान से आग्रह किया कि वह अपनी गलत टिप्पणियों को वापस ले, चीन से संबंधित मुद्दों पर परेशानी पैदा करना बंद करे, व्यावहारिक कार्रवाइयों से अपनी गलतियों को ठीक करे, और चीन-जापान संबंधों की राजनीतिक नींव की रक्षा करे।

उधर, हाल की जापानी सैन्य गतिविधियों के जवाब में, माओ निंग ने कहा कि चीन कभी भी जापानी सैन्यवाद के पुनरुत्थान की अनुमति नहीं देगा, किसी को भी युद्ध के बाद के अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को चुनौती देने की अनुमति नहीं देगा, और विश्व शांति व स्थिरता को फिर से नष्ट नहीं करने देगा।

उन्होंने कहा कि उपनिवेशवाद और आक्रामकता के अपने इतिहास के कारण, जापान की सैन्य और सुरक्षा गतिविधियाँ हमेशा से उसके एशियाई पड़ोसियों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए एक बड़ी चिंता का विषय रही हैं। 80 साल पहले, जापानी सैन्यवाद द्वारा शुरू किए गए आक्रामक युद्ध ने एशिया और दुनिया के लिए भारी तबाही मचाई थी। इतिहास के सबक को न तो भुलाया जाना चाहिए, न ही विकृत किया जाना चाहिए, और न ही मिटाया जाना चाहिए।

माओ निंग ने जोर देकर कहा कि आज, 80 साल बाद, हम जापानी सैन्यवाद को कभी भी पुनर्जीवित नहीं होने देंगे, युद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को कभी भी चुनौती नहीं देने देंगे, और विश्व शांति व स्थिरता को फिर कभी नष्ट नहीं करने देंगे।