थाईवान के संबंध में जापानी प्रधानमंत्री की गलत टिप्पणियां चीन-जापान चार राजनीतिक दस्तावेजों की भावना का गंभीर उल्लंघन हैं: चीनी विदेश मंत्रालय

(CRI)09:33:00 2025-11-18

जापानी प्रधानमंत्री साने ताकाइची की थाईवान संबंधी गलत टिप्पणियों के बारे में, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने 17 नवंबर को पेइचिंग में आयोजित एक नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीन ने बार-बार अपना गंभीर रुख स्पष्ट किया है। संबंधित टिप्पणियाँ चीन और जापान के बीच चार राजनीतिक दस्तावेजों की भावना का गंभीर उल्लंघन करती हैं और चीन-जापान संबंधों की राजनीतिक नींव को बुनियादी तौर पर नुकसान पहुँचाती हैं।

हाल ही में, कुछ जापानी राजनेताओं ने दावा किया कि थाईवान पर साने ताकाइची की ग़लत टिप्पणियों पर चीन की प्रतिक्रिया "अति-प्रतिक्रिया" थी। जापानी मुख्य कैबिनेट सचिव मिनोरू किहारा ने भी तर्क दिया कि थाईवान मुद्दे पर जापानी सरकार का रुख अपरिवर्तित है और वर्ष 1972 के "चीन-जापान संयुक्त वक्तव्य" के अनुरूप है।

चीनी प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि जब चीन और जापान ने राजनयिक संबंधों की बहाली पर चर्चा की, तो चीन ने स्पष्ट रूप से "राजनयिक संबंधों की बहाली के लिए तीन सिद्धांत" सामने रखे, यानी कि चीन लोक गणराज्य चीनी लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र कानूनी सरकार है, थाईवान प्रांत चीन लोक गणराज्य की प्रादेशिक भूमि का एक अविभाज्य हिस्सा है, और तथाकथित "जापान-च्यांग काई-शेक संधि" अवैध और अमान्य है और इसे समाप्त किया जाना चाहिए।

माओ निंग के अनुसार, वर्ष 1972 में, "चीन-जापान संयुक्त वक्तव्य" पर हस्ताक्षर से दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की औपचारिक स्थापना हुई। संयुक्त वक्तव्य में थाईवान मुद्दे का तीन बार उल्लेख किया गया है। संयुक्त वक्तव्य के अनुच्छेद 2 में कहा गया है कि "जापान सरकार चीन लोक गणराज्य की सरकार को चीन की एकमात्र वैध सरकार के रूप में मान्यता देती है"; और अनुच्छेद 3 में कहा गया है कि "चीन लोक गणराज्य की सरकार दोहराती है कि थाईवान चीन लोक गणराज्य की प्रादेशिक भूमि का एक अविभाज्य हिस्सा है। जापान सरकार चीनी सरकार के इस रुख को पूरी तरह समझती है और उसका सम्मान करती है तथा ‘पॉट्सडैम घोषणा-पत्र’ के अनुच्छेद 8 के रुख का पालन करती है।"

वर्ष 1978 में, चीन और जापान ने "शांति और मैत्री संधि" पर हस्ताक्षर किए, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि "चीन-जापान संयुक्त वक्तव्य" दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण और मैत्रीपूर्ण संबंधों की नींव है, और संयुक्त वक्तव्य में व्यक्त सभी सिद्धांतों का कड़ाई से पालन किया जाएगा। इसने संयुक्त वक्तव्य के सिद्धांतों और विषय-वस्तु की कानूनी रूप से पुष्टि की और चीन-जापान संबंधों के लिए कानूनी मानदंड स्थापित किए।

वर्ष 1998 में, दोनों पक्षों ने "शांति और विकास के लिए समर्पित मैत्रीपूर्ण साझेदारी की स्थापना पर चीन और जापान की संयुक्त घोषणा-पत्र" जारी किया। जापान ने थाईवान मुद्दे पर जापान-चीन संयुक्त वक्तव्य में बताए गए अपने रुख पर कायम रहने का वचन दिया और ‘एक-चीन’ सिद्धांत को दोहराया।

वर्ष 2008 में, "चीन-जापान रणनीतिक और पारस्परिक रूप से लाभकारी संबंधों को व्यापक रूप से आगे बढ़ाने पर संयुक्त वक्तव्य" के अनुच्छेद 5 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि "जापान थाईवान मुद्दे पर चीन और जापान के बीच संयुक्त वक्तव्य में व्यक्त किए गए रुख का पालन करना जारी रखेगा।"

माओ निंग ने कहा कि उपर्युक्त चीन और जापान के बीच चार राजनीतिक दस्तावेज़ों में थाईवान मुद्दे पर किए गए स्पष्ट प्रावधान हैं, और जापानी सरकार द्वारा की गई एक गंभीर प्रतिबद्धता भी हैं। इनका प्रभाव अंतर्राष्ट्रीय कानून जैसा है और इनमें अस्पष्टता या गलत व्याख्या की कोई गुंजाइश नहीं है। जापान में चाहे कोई भी पार्टी या व्यक्ति सत्ता में हो, उन्हें थाईवान मुद्दे पर जापानी सरकार की प्रतिबद्धताओं को कायम रखना होगा।

माओ निंग ने जापान से आग्रह किया कि वह इतिहास और द्विपक्षीय संबंधों के प्रति जिम्मेदारी से काम करे, निम्न रेखा लांघना और आग से खेलना बंद करे, अपने गलत शब्दों और कार्यों को वापस ले, तथा चीन के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को ठोस कार्यों में परिवर्तित करे।