शीत्सांग के प्रथम जनजातीय मंच परिधान डिज़ाइन प्रतियोगिता ल्हासा में आयोजित


चित्र VCG से है

हाल ही में, 2025 की “शीत्सांग का स्वाद” सांस्कृतिक एवं पर्यटन अनुभव श्रृंखला के तहत, शीत्सांग की पहली जनजातीय मंच परिधान डिज़ाइन प्रतियोगिता ल्हासा में आयोजित हुई। शीत्सांग स्वायत्त प्रदेश के संस्कृति और पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित इस प्रमुख सांस्कृतिक-पर्यटन कार्यक्रम का विषय था—“शीत्सांग की धुन का नवजीवन, वस्त्रों की आभा हिमभूमि पर चमके”। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य डिजाइनरों को पारंपरिक तत्वों को आधुनिक सौंदर्यबोध और मंच कला के साथ समाहित करने के लिए प्रेरित करना है, ताकि जनजातीय परिधान आधुनिक रोशनी में नई ऊर्जा और जीवंतता के साथ दमक सकें।

जानकारी के अनुसार, इस प्रतियोगिता का उद्देश्य शीत्सांग के जनजातीय परिधानों की सांस्कृतिक जड़ों को गहराई से खोजना और संरक्षित करना है। “शीत्सांग की धुन” इसकी आत्मा है, जो परिधानों के पीछे की ऐतिहासिक कहानियाँ, शुभ प्रतीकों और भुलु (ऊन से बना वस्त्र) और शीत्सांग कढ़ाई जैसी पारंपरिक कलाएँ सम्मिलित हैं। “नवजीवन” इसका दिशा-सूचक है, जो डिजाइनरों को पारंपरिक सीमाओं को तोड़ते हुए आधुनिक डिज़ाइन अवधारणाओं, मंच प्रदर्शन की आवश्यकताओं और जनजातीय तत्वों को जोड़ने के लिए प्रोत्साहित करता है, और “वस्त्रों की आभा बर्फीली भूमि पर चमके” इसका लक्ष्य है, जिसमें कार्यक्रम स्थल इन अवधारणाओं के क्रियान्वयन का मुख्य मंच बन गया, जहाँ शीत्सांग की प्राकृतिक, सांस्कृतिक और युगीन सुंदरता का एक साथ प्रदर्शन किया गया। 


चित्र VCG से है

इस वर्ष के “शीत्सांग स्वाद” सांस्कृतिक-पर्यटन अनुभव श्रृंखला का यह महत्वपूर्ण अंग होने के साथ-साथ, यह प्रतियोगिता पूरे आयोजन का अंतिम प्रदर्शन और प्रतिस्पर्धा चरण भी रही। कार्यक्रम के प्रारंभिक चरण में देशभर के 56 डिजाइनरों ने भाग लिया, जिनमें से चयन प्रक्रिया के विभिन्न चरणों को पार करते हुए, 12 डिजाइनर अंतिम दौर में पहुँचे और स्वर्ण पदक के लिए प्रतिस्पर्धा की। शीत्सांग प्रदर्शन लिमिटेड कंपनी के अध्यक्ष जांदुई ने कहा, “इस प्रतियोगिता का उद्देश्य अधिक से अधिक युवाओं तथा शीत्सांग की संस्कृति और परिधानों के प्रेमियों को भाग लेने के लिए प्रेरित करना है। यह आयोजन न केवल विभिन्न क्षेत्रों के डिजाइनरों की प्रतिभा को केंद्रित रूप से प्रदर्शित करता है, बल्कि उन लोगों का भी स्वागत करता है जो डिजाइन और शीत्सांग संस्कृति के प्रति रुचि और समर्पण रखते हैं।”

अंततः, शीत्सांग स्वायत्त प्रदेश के शीत्सांग नाट्य मंडली के तृतीय-स्तर के मंच पात्र परिधान डिजाइनर तेनजिन रेनबे ने स्वर्ण पदक जीता। पुरस्कार प्राप्त करने के बाद उन्होंने कहा, “मैं प्रतियोगिता द्वारा दिए गए इस सम्मान के लिए हृदय से धन्यवाद करता हूँ। आने वाले दिनों में मैं पारंपरिक परिधान संस्कृति पर गहन अध्ययन जारी रखूँगा, ताकि उसमें नई जीवनशक्ति भर सकूँ और मंच पर उसे उजागर कर सकूँ।” तेनजिन रेनबे ने यह भी जोर देकर कहा कि आधुनिक डिजाइनरों के रूप में हमारी जिम्मेदारी सांस्कृतिक विरासत के संवहन की है—“ संवहन और नवाचार दोनों समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विरासत रूढ़िवादी न बने और नवाचार अपनी मूल जड़ों से न कटे। आशा है कि सभी डिजाइनर पूरे उत्साह के साथ अपने कार्य में लगें और जनजातीय परिधान संस्कृति को निरंतर उन्नति और समृद्धि की ओर ले जाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएँ।