वू ओपेरा के परंपरा और नवाचार
जोजियांग प्रांत का जिनहुआ शहर, जिसे प्राचीन काल में वूजोउ कहा जाता था, वू ओपेरा स्थानीय बोलचाल में “जिनहुआ नाटक” जेजियांग प्रांत की एक प्रमुख क्षेत्रीय नाट्य विधा है। वर्ष 2008 में इसे चीनी राष्ट्रीय अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की दूसरी सूची में शामिल किया गया। 1956 में स्थापित, नवगठित जेजियांग वू ओपेरा मंडली ने वू ओपेरा की पारंपरिक धरोहर को संरक्षित करने का कार्य शुरू किया। कई मंडलियाँ ने असंख्य पारंपरिक नाटकों, गायन शैलियों और वाद्य धुनों का संकलन व दस्तावेज़ीकरण किया, साथ ही पारंपरिक मुखौटों और वेशभूषा के नमूनों जैसी अमूल्य सांस्कृतिक सामग्रियों को भी संरक्षित किया। वर्ष 2011 में मंडली का नाम बदलकर जेजियांग वू ओपेरा कला संस्थान रखा दिया गया।
हाल के वर्षों में यह संस्थान सृजनात्मक उत्कृष्टता और कलात्मक नवाचार पर विशेष ध्यान केंद्रित कर कार्य कर रहा है। नए दृष्टिकोणों, नवीन तकनीकों और आधुनिक मंच शैली के सहारे उसने क्रमशः ‘खुनलुन लड़की’, ‘श्वेत अस्थि दानव पर तीन हमले’ जैसे कई उत्कृष्ट नाटकों का सृजन किया है। इन प्रस्तुतियों को चीनी राष्ट्रीय रंगमंचीय कला उत्कृष्टता परियोजना सहित 10 से अधिक राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। संस्थान ने अमेरिका, फ्रांस, ब्राज़ील समेत 70 से अधिक देशों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान और व्यावसायिक प्रस्तुतियाँ दी हैं, जिन्हें व्यापक सराहना मिली है। इसने क्रमशः “किसानों की सेवा और जमीनी स्तर पर सांस्कृतिक कार्य के लिए राष्ट्रीय उन्नत सामूहिक” तथा “राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यों में उत्कृष्ट सामूहिक” जैसे अनेक सम्मान भी प्राप्त किए हैं।