"दृश्यावलोकन" से लेकर "कहानी में शामिल होने" तक — इंटरएक्टिव अनुभव में प्राचीन और आधुनिक वैभव का संगम

हाल के वर्षों में, सांस्कृतिक और पर्यटन उद्योग के निरंतर उन्नयन के साथ, पर्यटकों की अनुभव संबंधी मांगें पारंपरिक "सैर करते हुए दृश्यावलोकन" से आगे बढ़कर "कहानी में शामिल होने" की ओर बदल रही है। देशभर के कई पर्यटन स्थलों ने अब इमर्सिव इंटरएक्टिव मॉडल अपनाए हैं। इसके तहत वे संपूर्ण विषयगत पटकथाएँ तैयार करते हैं, विशिष्ट पात्रों, उतार-चढ़ाव से भरी कथानक रचना और बहुआयामी सहभागिता के चरणों को सावधानीपूर्वक डिज़ाइन करते हैं। कलाकारों के उत्कृष्ट अभिनय और सूक्ष्म मार्गदर्शन की बदौलत, अब पर्यटक केवल दर्शक नहीं रहते, बल्कि कहानी के विकास के सक्रिय भागीदार बन जाते हैं।

राष्ट्रीय दिवस की छुट्टियों के दौरान, हेबेई प्रांत के तांगशान शहर स्थित हेतोउ पुरानी गली पर्यटन स्थल पर पर्यटकों का तांता लगा। देशभर से आए पर्यटक यहाँ एकत्र हुए।, पारंपरिक तांग और हान परिधानों में सजे, उन्होंने समृद्ध तांग कालीन संस्कृति का गहराई से अनुभव किया। यहाँ एक के बाद एक अनूठी “समय-यात्रा” प्रस्तुतियाँ जोश और उत्साह के साथ होती रहीं।

पर्यटन स्थल में समृद्ध तांग राजवंश की पोशाकों में सजे कलाकार प्राचीन गलियों में घूमते हुए पर्यटकों के साथ जीवंत और रंगीन संवाद करते हुए नजर आये। पर्यटक गोमोखु, मज़ेदार अंक-पहेलियाँ, और ऐतिहासिक ज्ञान प्रश्नोत्तरी जैसे रोचक व मनोरंजक खेलों में भाग लेकर हर चुनौती पूरी करने पर एक निश्चित मूल्य की "नकद" अर्जित करते हैं। ये "नकद" न केवल उनकी सहभागिता की उपलब्धि का प्रतीक हैं, बल्कि इन्हें पुरानी गली के विशेष विनिमय केंद्र पर आकर्षक उपहारों के रूप में भी बदला जा सकता है।

प्राचीन नगरों के पर्यटन स्थलों में "योद्धा और नायक" पर आधारित आधारित कथानक प्रस्तुतियों से लेकर, पुराने कस्बों की गलियों में "लोकजीवन" पर केंद्रित भूमिकाओं के अभिनय, और सांस्कृतिक धरोहर स्थलों पर "ऐतिहासिक व्यक्तित्वों" के साथ संवादात्मक अनुभवों तक, देशभर के अधिकाधिक पर्यटन स्थल अब इमर्सिव इंटरएक्टिव अनुभवों के माध्यम से संस्कृति को जीवंत बना रहे हैं।इन नवाचारी प्रयासों ने पर्यटन को केवल दर्शनीय यात्रा न रखकर, उसे ज्ञान और संस्कृति के संवाहक रूप में परिवर्तित कर दिया है। सहज और मनोरंजक वातावरण में प्रस्तुत इन गतिविधियों के जरिये पर्यटक स्वयं को इतिहास की गहराइयों में उपस्थित महसूस करते हैं और संस्कृति की समृद्धि तथा उसकी आत्मा का सजीव अनुभव करते हैं।

(चित्र जन-दैनिक ऑनलाइन से है)