मोझूगोंगका ज़िले में कृषि उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए बहुआयामी कदम उठाये गए


चित्र VCG से है

हाल ही में पत्रकार शीत्सांग स्वायत्त प्रदेश ल्हासा शहर मोझूगोंगका ज़िले के थांगजिया गाँव के मोछोंग गांव पहुँचे, जहाँ खेतों में जौ की फसलें सुनहरी रंगत लेने लगी है और हवा में फसल की समृद्धि की खुशबू फैली हुई है। स्थानीय स्तर पर एक प्रसिद्ध कृषि प्रधान गाँव होने के नाते, यहाँ की शरदकालीन फसल की कटाई की गति न केवल ग्रामीणों की आमदनी से जुड़ी है, बल्कि पूरे वर्ष के कृषि उत्पादन की गुणवत्ता पर भी निर्भर करती है। इस समृद्धि की उम्मीद को मजबूती से पूरा करने के लिए, मछोंग गाँव की ग्राम पार्टी शाखा समिति और ग्रामवासी समिति ने पहले ही सक्रिय कदम उठाए हैं——हाल ही में 4 नई हार्वेस्टर मशीनें सफलतापूर्वक पहुँचाई गईं है , जिसने आगामी शरदकालीन फसल की कटाई में“जबरदस्त”ऊर्जा का संचार कर दिया।

ग्राम पार्टी शाखा सचिव के अनुसार, इन 4 हार्वेस्टर मशीनों का वितरण विशेष रूप से योजना के तहत किया गया है: पहले समूह को 1 मशीन दी गई है और पाँचवें समूह को 3 मशीनें। “यह वितरण दोनों समूहों की खेती योग्य भूमि, बोआई के पैमाने और पिछले वर्षों की शरदकालीन फसल की कटाई की मात्रा को ध्यान में रखकर किया गया है——पाँचवें समूह की ज़मीन अपेक्षाकृत अधिक सघन और बड़े पैमाने पर है, वहाँ 3 मशीनें कुशलतापूर्वक काम पूरा कर सकती हैं; पहले समूह की ज़मीन अपेक्षाकृत बिखरी हुई है, वहाँ 1 मशीन पर्याप्त है, और ज़रूरत पड़ने पर आसपास के क्षेत्रों में लचीला समर्थन के लिए भी उपयोगी है।” इस तरह सटीक वितरण और समूह के अंदर समन्वित प्रबंधन के ज़रिए, न केवल मशीनों के निष्क्रिय होने की समस्या से बचा जा सकता है, बल्कि शरदकालीन फसल कटाई के चरम समय पर “मशीनें निरंतर चलती रहें” यह भी सुनिश्चित किया जा सकता है।

इन 4 हार्वेस्टर मशीनों की खरीद पर कुल निवेश 9 लाख युआन से अधिक की राशि खर्च की गई। इसके लिए “राष्ट्रीय सब्सिडी + सामुदायिक निवेश + ग्रामीणों का स्व-वित्तपोषण + गांव में तैनात कार्यदल की सहायता” जैसे बहुआयामी स्रोत अपनाए गए। राष्ट्रीय कृषि मशीनरी सब्सिडी ने इसका एक हिस्सा वहन किया, ग्राम सामूहिक अर्थव्यवस्था और समूह स्तर की बचत द्वारा एक हिस्सा जुटाया गया, ग्रामीणों ने स्वेच्छा से योगदान दिया, और गांव में तैनात कार्यदल ने भी सहयोग निधि से एक हिस्सा उपलब्ध कराया ग्रामवासी समिति के प्रमुख भुपुछिरन ने बताया कि, “बहुस्तरीय सहयोग ने न केवल वित्तीय दबाव कम किया गया, बल्कि सभी को ‘स्वामीभाव’ का एहसास भी दिलाया।

भुपुछिरन के अनुसार, हार्वेस्टर मशीनों की स्थापना गांव में कृषि यंत्रीकरण की दिशा में एक अहम कदम है। “यंत्रीकृत कार्य से कटाई का समय 20 से अधिक दिनों से घटाकर एक सप्ताह के भीतर किया जा सकता है, श्रम लागत में 60% से अधिक की बचत होगी, और खराब मौसम में भी समय पर फसल की कटाई कर उत्पादन सुनिश्चित की जा सकती है, जिससे वास्तव में ‘अनाज का एक-एक दाना भंडार में’ पहुँचना संभव होगा।”

वर्तमान में, 4 हार्वेस्टर मशीनों का परीक्षण और समायोजन पूरा हो चुका है और ये गांव के प्रवेश द्वार के खुले मैदान में खड़ी हैं, मानो प्रस्थान की प्रतीक्षा कर रहे “लौह कवच वाले योद्धा” हों। गाँव के लोग जब वहां से गुजरते हैं तो कुछ देर ठहरकर देखते हैं और मन ही मन इस साल की समृद्ध फसल का हिसाब लगाने लगते हैं।