700 मीटर भूमिगत गहराई में न्यूट्रिनो के अन्वेषण का पता लगाने में, चीन ने अनुसंधान का एक नया अध्याय शुरू किया
चित्र VCG से है
26 अगस्त को च्यांगमन न्यूट्रिनो प्रयोग (JUNO) ने आधिकारिक रूप से डेटा संग्रहण शुरू किया। यह दस वर्षों से अधिक समय में निर्मित महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सुविधा अब कण भौतिकी के क्षेत्र में आने वाले दशक के सबसे बड़े प्रश्नों में से एक — न्यूट्रिनो द्रव्यमान क्रम को सुलझाने की दिशा में कार्य करेगी।
न्यूट्रिनो पदार्थ जगत के मूल कणों में से एक है, और यह ब्रह्मांड के सबसे प्राचीन तथा सबसे अधिक संख्या में पाए जाने वाले कण भी हैं। 1956 में मानव ने परमाणु रिएक्टर में पहली बार न्यूट्रिनो के कणों की उपस्थिति का पता लगाया । तब से न्यूट्रिनो भौतिकी अनुसंधान का एक केंद्रीय विषय बन गए हैं, किंतु इसके कई रहस्य अब भी अनसुलझे हैं।
चियांगमन न्यूट्रिनो प्रयोगशाला के डिटेक्टर केंद्र एक विशाल ऐक्रेलिक गोला है, जिसमें 20,000 टन तरल स्किन्टिलेटर भरा गया है। इसके बाहरी आवरण पर हज़ारों फोटोमल्टीप्लायर ट्यूब लगाए गए हैं। जब कोई न्यूट्रिनो इसमें प्रतिक्रिया करता है, तो इसमें कमजोर प्रकाश संकेत उत्पन्न होते हैं — इन संकेतों को बढ़ाया, दर्ज और विश्लेषित किया जाएगा।
च्यांगमन न्यूट्रिनों प्रयोग के मुख्य अभियंता मा शियाओयेन ने बताया कि परियोजना दल ने मात्र 45 दिनों में 60,000 टन से अधिक अति-शुद्ध जल का भराव कार्य पूरा किया। इस दौरान उन्होंने आंतरिक और बाहरी ऐक्रेलिक गोलों के तरल स्तर के अंतर को सेंटीमीटर स्तर पर रखा गया, तथा प्रवाह दर में विचलन को 0.5% से अधिक नहीं होने दिया, जिससे डिटेक्टर की मुख्य संरचना की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित हुई।
योजना अनुसार, च्यांगमन प्रयोग की डिज़ाइन उपयोग अवधि 30 वर्ष तक है। भविष्य में इसे बढ़ाकर "न्यूट्रिनो-रहित दोहरा-बीटा क्षय" प्रयोग में बदला जा सकता है, जिससे न्यूट्रिनो के निरपेक्ष द्रव्यमान मापा जा सकेगा और यह जांचा जा सकेगा कि क्या न्यूट्रिनो "मायोराना कण" हैं या नहीं। इससे कण भौतिकी, खगोल भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान के अत्याधुनिक एवं जटिल प्रश्नों के समाधान में मदद मिलेगी।