शी चिनफिंग ने एससीओ की 25वीं राष्ट्राध्यक्ष परिषद की बैठक की अध्यक्षता की

(CRI)14:53:53 2025-09-01

1 सितंबर की सुबह, शांगहाई सहयोग संगठन (एससीओ) की 25वीं राष्ट्राध्यक्ष परिषद की बैठक थ्येनचिन शहर में आयोजित की गई। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इसकी अध्यक्षता की और एक महत्वपूर्ण भाषण दिया।

अपने भाषण में, शी चिनफिंग ने कहा कि एससीओ दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन बन गया है, जिसमें 26 देश शामिल हैं, 50 से ज़्यादा क्षेत्रों में सहयोग है और कुल आर्थिक उत्पादन 300 खरब अमेरिकी डॉलर के करीब है। इसका अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव बढ़ रहा है।

उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि हमें मतभेदों को दरकिनार करते हुए समानताओं की खोज करनी चाहिए। साझा आकांक्षाओं को साझा करना ताकत और लाभ है, जबकि मतभेदों को दरकिनार करते हुए समानताओं की खोज करना व्यापक सोच और बुद्धिमत्ता है। एससीओ के सभी सदस्य देश मित्र और साझेदार हैं। हमें एक-दूसरे के संवेदनशील मामलों का सम्मान करना चाहिए, रणनीतिक संवाद बनाए रखना चाहिए, सामूहिक सहमति बनानी चाहिए, एकता और सहयोग को मज़बूत करना चाहिए, सहयोग के दायरे का विस्तार करते हुए प्रत्येक देश की क्षमताओं का लाभ उठाना चाहिए और क्षेत्र में शांति, स्थिरता, विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने की साझा ज़िम्मेदारी उठानी चाहिए।

शी चिनफिंग ने कहा कि हमें निष्पक्षता और न्याय को बनाए रखना चाहिए, द्वितीय विश्व युद्ध के इतिहास के सही दृष्टिकोण को बढ़ावा देना चाहिए, शीत युद्ध की मानसिकता, शिविर टकराव और धौंस-धमकी का विरोध करना चाहिए। हमें संयुक्त राष्ट्र को केंद्र में रखकर अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखना चाहिए और विश्व व्यापार संगठन को केंद्र में रखकर बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था का समर्थन करना चाहिए। हमें एक समान और व्यवस्थित बहुध्रुवीय विश्व और समावेशी आर्थिक वैश्वीकरण की वकालत करनी चाहिए, और एक अधिक न्यायसंगत और उचित वैश्विक शासन प्रणाली के निर्माण को बढ़ावा देना चाहिए।

शी चिनफिंग का कहना है कि हमें एससीओ के सुधार को आगे बढ़ाना चाहिए, संसाधन निवेश और क्षमता निर्माण को मजबूत करना चाहिए, ताकि इसके संगठनात्मक तंत्र में सुधार हो, इसकी निर्णय लेने की क्षमता अधिक वैज्ञानिक हो और इसका काम अधिक कुशल हो। शीघ्र ही सुरक्षा खतरों और चुनौतियों से निपटने के लिए व्यापक केंद्र और नारकोटिक्स नियंत्रण केंद्र का निर्माण करना चाहिए, जल्द ही एससीओ विकास बैंक की स्थापना करनी चाहिए, ताकि सदस्य देशों के सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को मज़बूत समर्थन मिल सके।

शी ने यह भी कहा कि यूरेशियाई महाद्वीप ने प्राचीन सभ्यताओं का पोषण किया है, पूर्व और पश्चिम के एकीकरण का मार्गदर्शन किया है और मानव प्रगति को गति दी है। सभी देशों के लोगों ने हमेशा संसाधनों को साझा किया है और अपनी कमज़ोरियों पर विजय पाने के लिए एक-दूसरे की खूबियों से सीखा है। एससीओ के सदस्य देशों को सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से एक-दूसरे से सीखना चाहिए, आर्थिक सहयोग में मज़बूत समर्थन प्रदान करना चाहिए, और सभ्यताओं के एक ऐसे उद्यान का निर्माण करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए जहाँ आत्म-सुधार, पारस्परिक लाभ और सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व फल-फूल सके।

शी चिनफिंग के अनुसार, एससीओ के आगे विकास को बढ़ावा देने में, चीन हमेशा व्यावहारिकता पर ज़ोर देता है। चीन जरूरतमंद सदस्य देशों में 100 "छोटी लेकिन सुंदर" आजीविका परियोजनाओं को लागू करने की योजना बना रहा है। इस वर्ष सदस्य देशों को 2 अरब युआन की अनुदान सहायता प्रदान करेगा, अगले 3 वर्षों में बैंकिंग संघ के सदस्य बैंकों को 10 अरब युआन के नए ऋण प्रदान करेगा। अगले वर्ष से, चीन एससीओ की विशेष छात्रवृत्तियों की संख्या दोगुनी करेगा, एक अभिनव डॉक्टरेट प्रशिक्षण कार्यक्रम लागू करेगा, और उत्कृष्ट शैक्षणिक और वैज्ञानिक प्रतिभाओं को संयुक्त रूप से विकसित करेगा। अगले पाँच वर्षों में, चीन सदस्य देशों में 10 "लुपान कार्यशालाएँ" स्थापित करेगा, और 10,000 मानव संसाधन प्रशिक्षण अवसर प्रदान करेगा।

अपने भाषण में, शी चिनफिंग ने पारस्परिक लाभ और उभय जीत पर बनाए रखने के महत्व पर ज़ोर दिया। उन्होंने विकास रणनीतियों के संरेखण को गहरा करने, उच्च गुणवत्ता वाले "बेल्ट एंड रोड" पहल का संयुक्त रूप से निर्माण करने, और व्यापक परामर्श, संयुक्त निर्माण और साझाकरण के माध्यम से क्षेत्रीय विकास को मजबूत करने तथा जन कल्याण को बढ़ाने पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमें सदस्य देशों के बीच विशाल बाज़ार और आर्थिक पूरकता के लाभों का लाभ उठा कर व्यापार और निवेश सुविधा को बढ़ाना चाहिए, और ऊर्जा, बुनियादी ढाँचे, हरित उद्योगों, डिजिटल अर्थव्यवस्था, वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आदि क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत करना आवश्यक है। शी चिनफिंग ने पारस्परिक सफलता और साझा भविष्य के माध्यम से आधुनिकीकरण की ओर संयुक्त रूप से आगे बढ़ने पर ज़ोर दिया।