शांगहाई सहयोग संगठन थिएनचिन शिखर सम्मेलन का अभूतपूर्व महत्व
यांग रुई
31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक शांगहाई सहयोग संगठन का थिएनचिन शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ। इसमें 20 से अधिक देशों के नेता और 10 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल हुए। यह सम्मेलन एससीओ के इतिहास में अभूतपूर्व है, जो एससीओ को और अधिक एकजुट, सहयोगी, ऊर्जावान तथा अधिक सक्रिय व उच्च-गुणवत्ता वाले विकास के नए चरण में प्रवेश करने के लिए प्रेरित करेगा।
पिछले वर्षों की समीक्षा करे तो यह स्पष्ट होता है कि शांगहाई सहयोग संगठन ने उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। एक ओर, संगठन की राजनीतिक अपील लगातार बढ़ी है। एससीओ “शांगहाई भावना” के सिद्धांतों का पालन करता है, जिसमें आपसी विश्वास, पारस्परिक लाभ, समानता, परामर्श, विविध सभ्यताओं का सम्मान और साझा विकास के प्रयास शामिल है। यही एससीओ की दीर्घकालिक जीवन शक्ति का स्रोत है।“शांगहाई भावना” के मार्गदर्शन में, एससीओ ने प्रत्येक सदस्य को सुझाव देने, आम सहमति बनाने और सहयोग के अवसर तलाशने का मंच प्रदान किया है। सहयोग के दायरे के विस्तार के साथ-साथ संगठन का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव भी लगातार बढ़ा है, और अधिक से अधिक देश एससीओ में शामिल होने की इच्छा व्यक्त करने लगे हैं। सदस्यता विस्तार के कई दौरों के बाद, संगठन के सदस्य का पैमाना निरंतर बढ़ा है— प्रारंभिक 6 संस्थापक सदस्यों से अब यह 10 पूर्ण सदस्य देशों, अफ़ग़ानिस्तान और मंगोलिया के दो पर्यवेक्षक देशों, तथा अज़रबैजान, आर्मेनिया समेत 14 संवाद सहयोगी देशों तक विस्तृत हो चुका है।
दूसरी ओर, इस संगठन में विभिन्न क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग तेजी से आगे बढ़ा है। “शांगहाई भावना” के मार्गदर्शन में, सदस्य देशों ने सुरक्षा और आर्थिक सहयोग के “ दि्व चक्र संचालन ” से स्वास्थ्य, सुरक्षा, विकास और मानविकी—इन “चार साझे समुदायों” तक विस्तार किया है, और फिर “पाँच साझा घरों” के निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाया है। । सहयोग के क्षेत्र लगातार व्यापक होते गए और इस प्रक्रिया में सहयोगी उपलब्धियाँ निरंतर सामने आती रहीं। उदाहरण स्वरूप, व्यापार और आर्थिक सहयोग शुरू से ही एससीओ विकास का एक मजबूत इंजन बन चुका है। 2024 में, एससीओ सदस्य देशों का कुल विदेशी व्यापार 80 ख़रब अमेरिकी डॉलर से अधिक जा पहुंचा है , जो विश्व व्यापार कुल का एक-चौथाई हिस्सा है, और एससीओ की स्थापना के शुरुआती समय की तुलना में 100 गुना की वृद्धि हुई है।
भविष्य की ओर नज़र डालें तो शांगहाई सहयोग संगठन का भविष्य उज्ज्वल है। सबसे पहले, संगठन बहुपक्षीयता और मुक्त व्यापार प्रणाली की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाएगा। । एससीओ में कई उभरती अर्थव्यवस्थाएँ शामिल हैं, जो पश्चिमी देशों के प्रभुत्व वाले अंतरराष्ट्रीय ढाँचे, विशेषकर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था से उत्पन्न दबाव और यहाँ तक कि अनुचित व्यवहार का सामना करने में समान दृष्टिकोण अपनाती हैं। । इन देशों को उभरती अर्थव्यवस्थाओं और स्थापित शक्तियों के बीच वैश्विक आर्थिक शासन में प्रतिनिधित्व और प्रभाव के मामले में मौजूद संरचनात्मक विरोधाभासों का सामना करना पड़ रहा है। स्पष्ट है कि अकेले दम पर मौजूदा अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली का मुकाबला करना कठिन है। यदि अधिक प्रभावशाली आवाज़ उठाना चाहते है और राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रखना चाहते हैं, तो सहयोग और साझा लाभ बिल्कुल अनिवार्य हैं— विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष , विश्व व्यापार संगठन जैसे बहुपक्षीय आर्थिक और वित्तीय संस्थानों के सुधार को मिलकर आगे बढ़ाना होगा।
अमेरिका की टैरिफ़ युद्ध समस्या को देखें तो जाहिर है कि टैरिफ़ युद्ध और व्यापार युद्ध में कोई विजेता नहीं होता। लेकिन एससीओ के सदस्य देश अपने हितों की रक्षा के लिए टैरिफ़ युद्ध से न डरें और न ही अमेरिका के दबाव से भयभीत हों। आंतरिक क्षमता को मज़बूत करने और अपनी आर्थिक लचीलापन बढ़ाने के अलावा, एससीओ सदस्य देशों के बीच परस्पर सहयोग की भारी संभावनाएँ मौजूद हैं। सदस्य देश आपसी आर्थिक व व्यापारिक सहयोग को गहरा कर अमेरिका के एकतरफ़ा टैरिफ़ कदमों का विरोध कर सकते हैं, और बहुपक्षीय सहयोग की रक्षा करने तथा अंतरराष्ट्रीय आर्थिक चुनौतियों का सक्रियता से सामना करने के महत्व पर ज़ोर देते हुए सामूहिक सहयोग के माध्यम से टैरिफ़ के झटकों को कम किया जा सकता है।
दूसरे, एससीओ के सदस्य देश मिलकर मानवता के साझा भविष्य का समुदाय बनाने में सहायक होंगे। राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा है कि चीन हमेशा शांगहाई सहयोग संगठन को अपनी पड़ोसी कूटनीति की प्राथमिकता मानता है, और इसे ठोस एवं मज़बूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। चीन का उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता को बनाए रखना, सदस्य देशों के विकास और समृद्धि को बढ़ावा देना तथा एक घनिष्ठ साझा भाग्य समुदाय का निर्माण करना है।
भविष्य में, शांगहाई सहयोग संगठन निम्नलिखित क्षेत्रों में बड़ी भूमिका निभा सकता है - आधिपत्यवाद, दबदबा और धौंसपट्टी का विरोध करना , जिससे वैश्विक बहुध्रुवीयता अधिक समान और सुव्यवस्थित बनी रहे। इसके अलावा, पारस्पपारिक परामर्श, संयुक्त निर्माण और साझा उपभोग करने के सिद्धांतों पर कायम रहकर आर्थिक वैश्वीकरण को अधिक सर्वसुलभ और समावेशी बनाने के लिए उम्दा स्थिति तैयार कर सकता है। और तो और एससीओ वैश्विक दक्षिण की एकजुटता का मार्गदर्शन कर, अधिक न्यायसंगत और उचित वैश्विक शासन प्रणाली की स्थापना को आगे बढ़ाने और मानवता के साझा भविष्य वाले समुदाय के निर्माण के लिए अपार शक्ति का संचार करने में भी योगदान दे सकता है।
(लेखक:अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन स्कूल के एसोसिएट प्रोफेसर, अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संचार अध्ययन अकादमी के पाकिस्तान अनुसंधान केंद्र के निदेशक, कम्यूनिकेशन यूनिवर्सिटी अव चाइना)
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