चीन और भारत ने सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की बैठक की
19 अगस्त को, चीन-भारत सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की 24वीं बैठक नई दिल्ली में आयोजित हुई। चीनी पक्ष के विशेष प्रतिनिधि, विदेश मंत्री वांग यी ने भारतीय विशेष प्रतिनिधि, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ चीन-भारत सीमा मुद्दे और द्विपक्षीय संबंधों पर व्यापक, गहन और उपयोगी बातचीत की।
इस दौरान, वांग यी ने कहा कि राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के कज़ान शहर में हुई बैठक में महत्वपूर्ण आम सहमति पर पहुँच कर चीन-भारत संबंधों को बेहतर बनाने और सीमा मुद्दे को उचित ढंग से निपटाने के लिए दिशा दिखाई और प्रोत्साहन दिया। इस वर्ष की शुरुआत से, द्विपक्षीय संबंध एक स्थिर विकास पथ पर अग्रसर हुए हैं, और सीमा पर स्थिति स्थिर और सुधरती जा रही है।
वांग यी ने यह भी कहा कि दो प्रमुख पड़ोसी और विकासशील देश होने के नाते, चीन और भारत समान मूल्यों और व्यापक साझा हितों को साझा करते हैं। दोनों देशों को एक-दूसरे पर भरोसा और समर्थन करना चाहिए, क्योंकि दो उभरते देशों के लिए यही उचित स्थिति है। चीन शांगहाई सहयोग संगठन (एससीओ) के थ्येनचिन शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा को बहुत महत्व देता है और शिखर सम्मेलन की सफलता में भारत के सक्रिय योगदान की आशा करता है।
चीनी विदेश मंत्री ने बल देते हुए कहा कि इतिहास और वास्तविकता ने बार-बार साबित किया है कि चीन-भारत संबंधों का स्वस्थ और स्थिर विकास दोनों देशों की जनता के मौलिक हितों में है और यह अधिकांश विकासशील देशों की समान अपेक्षा भी है। दोनों पक्षों को दोनों देशों के नेताओं के रणनीतिक मार्गदर्शन के अनुसार, द्विपक्षीय संबंधों और सीमा मुद्दों को देखने और संभालने में दोहरे ट्रैक प्रगति, पारस्परिक संवर्धन और एक सकारात्मक चक्रीय विचार का पालन करना चाहिए, बातचीत और संचार के माध्यम से आपसी विश्वास को बढ़ाना चाहिए, आदान-प्रदान और सहयोग का विस्तार करना चाहिए। साथ ही, सीमा नियंत्रण, सीमांकन वार्ता, सीमा पार आदान-प्रदान आदि क्षेत्रों में आम सहमति प्राप्त करने, दिशा-निर्देश स्पष्ट करने, और लक्ष्य निर्धारित करने को संयुक्त रूप से बढ़ावा देना चाहिए, विशिष्ट मुद्दों का उचित समाधान करना चाहिए और अधिक सकारात्मक प्रगति प्राप्त करनी चाहिए, ताकि दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार और विकास के लिए लगातार अनुकूल परिस्थितियां पैदा की जा सकें।
बैठक में डोभाल ने कहा कि दोनों देशों के नेताओं के बीच हुई कज़ान बैठक भारत-चीन संबंधों के सुधार और विकास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी। दोनों पक्षों के बीच आपसी समझ में सकारात्मक बदलाव आए हैं, सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द कायम रहा है, और द्विपक्षीय संबंधों में अभूतपूर्व प्रगति हुई है।
उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति अशांत है, भारत और चीन कई समान चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। आपसी समझ बढ़ाना, विश्वास गहरा करना और सहयोग को मज़बूत करना ज़रूरी है, क्योंकि यह दोनों देशों की जनता की भलाई और विश्व शांति व विकास से जुड़ा है। भारत हमेशा से एक-चीन नीति पर कायम रहा है। इस वर्ष भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ है। प्रधानमंत्री मोदी उत्सुकता से एससीओ थ्येनचिन शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा करेंगे और उनका मानना है कि इससे द्विपक्षीय संबंधों में नये विकास को बढ़ावा मिलेगा।
डोभाल के अनुसार, भारत शांगहाई सहयोग संगठन के घूर्णन अध्यक्ष के रूप में एक सफल शिखर सम्मेलन की मेजबानी में चीन का समर्थन करता है, और सीमा मुद्दे के अंतिम समाधान के लिए निरंतर परिस्थितियाँ बनाने हेतु चीन के साथ मिलकर सकारात्मक और व्यावहारिक तरीके से संपर्क और संवाद बनाए रखने को तैयार है।
बता दें कि बैठक में दोनों पक्षों ने सीमा वार्ता से प्राप्त प्रारंभिक परिणामों पर विचारों का आदान-प्रदान किया और दोहराया कि विशेष प्रतिनिधियों की बैठक व्यवस्था की भूमिका को पूर्ण रूप से निभाते हुए साल 2005 में सहमत हुए राजनीतिक मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुसार, पारस्परिक सम्मान और आपसी समझ की भावना से, निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोज करेंगे। साथ ही, यह भी कहा गया कि दोनों देश सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए नियमित सीमा प्रबंधन और नियंत्रण को मज़बूत करेंगे। दोनों पक्षों ने अगले वर्ष चीन में चीन-भारत सीमा मुद्दे पर 25वीं विशेष प्रतिनिधियों की बैठक आयोजित करने पर सहमति व्यक्त की।
इनके अलावा, नई दिल्ली में हुई इस बैठक में दोनों पक्षों ने साझा चिंता वाले प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।