चीन ने जापान द्वारा तथाकथित "निजी हैसियत" में थाईवानी राजनेता की यात्रा में मिलीभगत का कड़ा विरोध किया
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता क्वो च्याखुन ने 28 जुलाई को पेइचिंग में आयोजित एक नियमित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जापान ने तथाकथित "निजी हैसियत" में लिन च्यालोंग की यात्रा को मंजूरी दी, जिससे "थाईवान स्वतंत्रता" ताकतों को चीन विरोधी अलगाववादी गतिविधियों में शामिल होने का मंच मिल गया, जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बुनियादी मानदंडों और चीन और जापान के बीच चार राजनीतिक दस्तावेजों के सिद्धांतों का गंभीर उल्लंघन है और गंभीर रूप से गलत संकेत भेज रहा है।
प्रवक्ता ने कहा कि चीन ने इस पर कड़ा असंतोष और दृढ़ विरोध व्यक्त किया है, तथा पेइचिंग और टोक्यो में जापान के समक्ष गंभीर रूप से मामला उठाया है और कड़ा विरोध दर्ज कराया है। उनका कहना है कि थाईवान चीन के भूभाग का एक अविभाज्य अंग है। थाईवान मुद्दा चीन के मूल हितों का केंद्र है और चीन-जापान संबंधों की राजनीतिक नींव और दोनों देशों के बीच बुनियादी विश्वास से जुड़ा है।
क्वा च्याखुन ने यह भी कहा कि इस वर्ष चीनी जनता के जापानी आक्रमण विरोधी युद्ध और विश्व फ़ासीवाद-विरोधी युद्ध की विजय की 80वीं वर्षगांठ है, साथ ही, थाईवान की मुक्ति की 80वीं वर्षगांठ भी है। जापान ने आधी सदी तक थाईवान पर उपनिवेश स्थापित किया था और चीनी जनता के प्रति उसकी गंभीर ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी है।
प्रवक्ता के अनुसार, चीन जापान से आग्रह करता है कि वह चीन और जापान के बीच चार राजनीतिक दस्तावेजों की भावना और उसके द्वारा की गई गंभीर प्रतिबद्धताओं का पालन करे, इतिहास पर गहराई से चिंतन करे, ऐतिहासिक सबक से सीखे, थाईवान मुद्दे पर शब्दों और कार्यों में सतर्क रहे, किसी भी रूप में चीन की संप्रभुता को नष्ट न करे, और "थाईवान स्वतंत्रता" के अलगाववादी ताकतों को कोई गलत संकेत न भेजे।