रूस में चीन-रूस संयुक्त समुद्री वैज्ञानिक अभियान शुरू
"चीन-रूस संयुक्त समुद्री वैज्ञानिक अभियान" का शुभारंभ समारोह 22 जुलाई को रूस के सुदूर पूर्व बंदरगाह शहर व्लादिवोस्तोक में आयोजित हुआ। दोनों देशों के शोधकर्ता 23 जुलाई को रूसी वैज्ञानिक अनुसंधान पोत "अकादमिक लाव्रेन्त्येव" पर सवार होकर बेरिंग सागर और उत्तर-पश्चिमी प्रशांत महासागर में वैज्ञानिक अनुसंधान गतिविधियाँ संचालित करेंगे।
व्लादिवोस्तोक में चीनी कार्यवाहक महावाणिज्यदूत वांग च्यून ने शुभारंभ समारोह में भाषण देते हुए कहा कि 15 साल पहले, चीनी और रूसी समुद्री वैज्ञानिकों के पहले संयुक्त वैज्ञानिक अभियान के बाद से, उन्होंने कई वैज्ञानिक समस्याओं को दूर करने के लिए मिलकर काम किया है और गहरा आपसी विश्वास और मित्रता स्थापित की है। यह संयुक्त वैज्ञानिक अभियान प्राचीन-समुद्र विज्ञान, प्राचीन-जलवायु विज्ञान और पारिस्थितिकी तंत्र अनुसंधान पर केंद्रित है। प्रासंगिक परिणाम उत्तरी प्रशांत-आर्कटिक क्षेत्र में जलवायु विकास के नियमों को और गहराई से समझने में मनुष्यों की मदद करेंगे और भविष्य के पर्यावरणीय परिवर्तनों की भविष्यवाणी के लिए महत्वपूर्ण वैज्ञानिक आधार प्रदान करेंगे।
वहीं, रूसी विज्ञान अकादमी की सुदूर पूर्वी शाखा के प्रशांत महासागर विज्ञान संस्थान के निदेशक डेनिस मकारोव ने शुभारंभ समारोह में कहा कि इस वैज्ञानिक अभियान के परिणाम महासागर और जलवायु के ऐतिहासिक विकास को फिर से बनाने में मदद करेंगे, और क्षेत्रीय समुद्री पारिस्थितिकी, मत्स्य पालन, परिवहन और अन्य क्षेत्रों पर वर्तमान और भविष्य के जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की भविष्यवाणी करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होंगे।
बताया गया है कि बेरिंग सागर और उत्तर-पश्चिमी प्रशांत महासागर में इस संयुक्त वैज्ञानिक अभियान में चीन और रूस के कुल 25 शोधकर्ता भाग लेंगे, जिनमें चीन के 5 शोधकर्ता शामिल हैं। दोनों देशों के शोधकर्ताओं ने बेरिंग सागर और उत्तर-पश्चिमी प्रशांत महासागर के विशिष्ट जल का एक व्यापक पर्यावरणीय सर्वेक्षण करने की योजना बनाई है, ताकि चतुर्थक काल के अंत में वैश्विक जलवायु परिवर्तन के प्रति बेरिंग सागर-उत्तर-पश्चिमी प्रशांत महासागर की प्रतिक्रिया प्रक्रिया और प्रतिक्रिया तंत्र की जांच की जा सके।