भारत में चीनी राजदूत ने चीन-भारत उच्च स्तरीय आवाजाही, मानविकी आदान-प्रदान, आर्थिक व व्यापारिक सहयोग पर चर्चा की
21 जुलाई, 2025 को भारत के प्रमुख अंग्रेजी अख़बार 'द हिंदू' में प्रकाशित एक विशेष साक्षात्कार में भारत में चीनी राजदूत शू फ़ेइहोंग ने चीन-भारत संबंधों के विभिन्न आयामों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने द्विपक्षीय उच्च-स्तरीय आदान-प्रदान, मानवीय संबंध, आर्थिक व व्यापारिक सहयोग, और चीन की दक्षिण एशियाई विदेश नीति पर अपने विचार साझा किए।
राजदूत शू ने बताया कि हाल ही में चीन और भारत के बीच बनी सहमति के बाद भारतीय श्रद्धालुओं के लिए चीन के शीत्सांग (तिब्बत) स्वायत्त प्रदेश में स्थित पवित्र पर्वत और झील की तीर्थयात्रा फिर से शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि हाल ही में चीन का दौरा करने वाले भारतीय रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री ने इस पहल के लिए चीन का आभार व्यक्त किया, जिस पर भारतीय जनता ने भी गर्मजोशी से प्रतिक्रिया दी। राजदूत शू के अनुसार, यह कदम दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी समझ और मित्रता को बढ़ाने के साथ-साथ मानवीय आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा, जिससे चीन-भारत संबंधों के सुधार और विकास को नई ऊर्जा मिलेगी।
राजदूत शू के अनुसार, चीन के शीत्सांग स्वायत्त प्रदेश में पवित्र पर्वत और झील की भारतीय श्रद्धालुओं की तीर्थयात्रा पुनः शुरू करना, चीन-भारत संबंधों को सुधारने के लिए चीन द्वारा की गई एक महत्वपूर्ण पहल है, जो चीन की ईमानदारी और विश्वसनीयता को पूरी तरह से प्रदर्शित करती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत भी निवेश, व्यापार और पर्यटन के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के नए विकास को बढ़ावा देने के लिए चीन के साथ मिलकर काम करेगा। उन्होंने जानकारी दी कि वर्तमान में दोनों देशों के सरकारी विभागों और प्रमुख एयरलाइनों ने सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने के लिए काफी प्रयास किए हैं, और उम्मीद है कि ये उड़ानें जल्द से जल्द शुरू हो जाएंगी।
पिछले साल अक्टूबर में रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक का जिक्र करते हुए राजदूत शू ने कहा कि इस बैठक ने चीन-भारत संबंधों को रणनीतिक और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य से आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि यह बैठक पड़ोसी प्रमुख देशों के रूप में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और सामान्य विकास को संयुक्त रूप से आगे बढ़ाने के लिए चीन और भारत के उज्ज्वल मार्ग में नई जान फूंकने वाली थी।
राजदूत शू ने इस बात पर भी जोर दिया कि एक नए ऐतिहासिक प्रस्थान बिंदु पर खड़े होकर, चीन और भारत दोनों अपने-अपने देशों में आधुनिकीकरण के एक महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने विकास को दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा "समान कारक" बताया और कहा कि चीन हमेशा आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्रों में चीन और भारत के बीच सहयोग को मजबूत करने का समर्थन करता है, और आशा करता है कि भारत, चीन के साथ मिलकर द्विपक्षीय आर्थिक और व्यापारिक आदान-प्रदान के लिए अनुकूल और अधिक कदम उठाएगा, प्रोत्साहन नीतियां बढ़ाएगा और प्रतिबंधात्मक उपायों को कम करेगा, ताकि चीन-भारत आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को एक नए स्तर पर पहुँचाया जा सके।
वर्तमान वैश्विक चुनौतियों का उल्लेख करते हुए, राजदूत शू ने कहा कि एकतरफावाद और दादागीरी वाली कार्रवाइयों से दुनिया के सामने गंभीर चुनौतियां खड़ी हो रही हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया की दो सबसे बड़ी आबादी वाली उभरती अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, चीन और भारत को शांगहाई सहयोग संगठन (एससीओ) और ब्रिक्स जैसे बहुपक्षीय ढांचों के भीतर सहयोग को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने बहुपक्षवाद की प्रभावी रूप से रक्षा करने, "वैश्विक दक्षिण" के साझा हितों की रक्षा करने, क्षेत्रीय शांति, स्थिरता, विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने, और हाथ मिलाकर मानव जाति के साझा भविष्य वाले समुदाय का निर्माण करने का आह्वान किया।
चीन-भारत सीमा मुद्दे पर चर्चा करते हुए राजदूत शू ने कहा कि वर्तमान में चीन-भारत सीमा पर स्थिति सामान्यतः स्थिर है। उन्होंने बताया कि चीन कूटनीतिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से भारत के साथ संचार बनाए रखना चाहता है। उनका लक्ष्य समान परामर्श और पारस्परिक समान सुरक्षा वाले सिद्धांतों के आधार पर सीमा नियंत्रण नियमों को और अधिक परिष्कृत करना, विश्वास उपायों के निर्माण को मजबूत करना, ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थायी शांति और सौहार्द प्राप्त किया जा सके।
चीन की दक्षिण एशियाई विदेश नीति के बारे में बात करते हुए राजदूत शू ने कहा कि चीन ने हमेशा मैत्री, ईमानदारी, पारस्परिक लाभ और समावेशिता वाली पड़ोसी कूटनीति विचारधारा का पालन किया है। उन्होंने राजनीतिक आपसी विश्वास को बढ़ाने, समावेशी सहयोग करने और दक्षिण एशियाई देशों के साथ आर्थिक सशक्तिकरण में मदद करने की वकालत की, ताकि संयुक्त रूप से सहयोग का विस्तार किया जा सके और क्षेत्रीय शांति, विकास और समृद्धि को बढ़ावा दिया जा सके।
चीनी राजदूत शू का कहना है कि चीन और भारत प्रतिस्पर्धी नहीं, बल्कि साझेदार हैं। चीन भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों के साथ मिलकर वैश्विक विकास पहल, वैश्विक सुरक्षा पहल और वैश्विक सभ्यता पहल को सक्रिय रूप से लागू करना चाहता है, ताकि दक्षिण एशियाई सहयोग का संयुक्त रूप से विस्तार किया जा सके और मानव जाति के साझा भविष्य वाले घनिष्ठ समुदाय का निर्माण किया जा सके।