Women In Motion: महिला सृजन की नई लहर पर केंद्रित है 27वां शांगहाई इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल
27वां शांगहाई इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल (SIFF) 13 से 22 जून तक शंगहाई में आयोजित किया जा रहा है। टोक्यो अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल और बुसान अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल के साथ "एशिया के तीन प्रमुख फिल्म महोत्सवों" में से एक और चीन में एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय ए-स्तरीय फिल्म महोत्सव के रूप में, इस वर्ष का शांगहाई इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल, हमेशा की तरह, विश्व के शीर्ष फिल्म निर्माताओं को एक साथ ला रहा है और दर्शकों के लिए एक अद्भुत दृश्य-श्रव्य भोज प्रस्तुत कर रहा है।
महिला परिप्रेक्ष्य की चमक
इस वर्ष के SIFF की एक उल्लेखनीय विशेषता महिला फिल्म निर्माताओं और उनके कामों के साथ-साथ महिला दृष्टिकोण से कहानियों में उल्लेखनीय वृद्धि है। यह प्रवृत्ति वैश्विक फिल्म उद्योग में लैंगिक समानता और महिला अभिव्यक्ति पर दिए जा रहे बढ़ते ध्यान को प्रतिध्वनित करती है। विश्व सिनेमा के जन्म की 130वीं वर्षगांठ और चीनी सिनेमा के जन्म की 120वीं वर्षगांठ के अवसर पर, फिल्म महोत्सव ने एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध समूह केरिंग(Kering) के साथ मिलकर शांगहाई में "वुमेन इन मोशन" परियोजना को बढ़ावा दिया।
फिल्म महोत्सवों को सशक्त बनाता वूमेन इन मोशन
दोनों पक्षों ने उच्च स्तरीय "केरिंग के 'वुमेन इन मोशन' थीम फोरम" को आयोजित किया और संयुक्त रूप से "वुमेन इन मोशन" विशेष स्क्रीनिंग यूनिट प्रस्तुत की, जिसमें विविध रूप में महिला फिल्म निर्माताओं की रचनात्मकता और अद्वितीय दृष्टिकोण को प्रदर्शित किया गया।
इस फोरम में दुनिया भर की महिला फिल्मी हस्तियां एक मंच पर आईं, जिनमें चीनी अभिनेता और निर्माता ल्यांग चिंग, प्रसिद्ध एनिमेटेड चरित्र "नेचा" की आवाज अभिनेत्री ल्य्वी यानथिंग, भारतीय निर्देशक, निर्माता और पटकथा लेखिका किरण राव और ब्राजीलियाई अभिनेता और निर्माता लुइज़ा मारियानी शामिल थीं।
उद्योग जगत की आवाज़: किनारे से केंद्र तक
फोरम में अतिथियों ने उद्योग जगत की बहुमूल्य अंतर्दृष्टि और व्यक्तिगत अनुभव साझा किए तथा फिल्म निर्माण और कैरियर विकास में महिलाओं के सामने आने वाले अवसरों और चुनौतियों पर गहराई से चर्चा की।
किरण राव ने पिछले 25 वर्षों में भारतीय फिल्म उद्योग में आए बदलावों की समीक्षा की: "जब मैं पहली बार इस उद्योग में शामिल हुई थी, तब बहुत कम महिला निर्देशक और निर्माता थीं। आज, हालांकि भारतीय फिल्म उद्योग में महिला कलाकारों का अनुपात लगभग 25%-30% तक बढ़ गया है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। हम चाहते हैं और हमें फिल्म निर्माण के सभी पहलुओं में अधिक महिलाओं की भागीदारी की आवश्यकता है।"
वहीं, ल्य्वी यानथिंग ने चरित्र निर्माण के परिप्रेक्ष्य से अपनी खुशी और उम्मीद व्यक्त की: "अतीत में, फिल्म और टेलीविजन कार्यों में महिला पात्रों को अक्सर केवल वर्गीकृत किया जाता था। अब, मैं अधिक से अधिक वास्तविक और जीवंत महिला पात्रों को उभरता हुआ देख रही हूँ। मुझे उम्मीद है कि भविष्य में ऐसे और भी चरित्र सामने आते रहेंगे, ताकि महिला परिप्रेक्ष्य को अधिक व्यापक रूप से देखा और सुना जा सके।"
समय की धारा में स्त्री की अभिव्यक्ति
हाल के वर्षों में, महिला रचनाकारों ने दृढ़तापूर्वक लौकिक सीमाओं को पार किया है, सूक्ष्म दृष्टिकोण से जीवन का दस्तावेजीकरण किया है, भावनाओं को तीव्र संवेदनशीलता के साथ पकड़ा है, और अपनी कृतियों में आंतरिक शक्ति का संचार किया है - एक सार्वभौमिक स्त्री आवाज को उभारा है जो जाति, नस्ल और राष्ट्रीयता से परे है, तथा हमारे समय की कठिनाइयों के बीच महिलाओं के लचीलेपन और नेतृत्व को प्रदर्शित किया है।
विविधता और खुलेपन की एक नई तस्वीर
महिला सृजन की यह लहर न केवल फिल्म कला को समृद्ध करती है, स्क्रीन पर एक नया कथात्मक परिप्रेक्ष्य लाती है, महिलाओं की बुद्धि और शक्ति को प्रदर्शित करती है, बल्कि समय के गहन परिवर्तनों को भी दर्शाती है। यह दर्शाता है कि मानव सभ्यता अधिक विविध, समावेशी और खुली दिशा में विकसित हो रही है। 27वें शंगहाई इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल का "Her Power" पर ध्यान केंद्रित करना निस्संदेह इस प्रक्रिया में एक अद्भुत फुटनोट है।