सीमा नगर का नजारा : पुलान सीमावर्ती निवासियों से मुलाकात

“नेपाल भवन” के नीचे नए मेहमान : "यहाँ ज्यादा अवसर मिलता हैं"

पुलान काउंटी चीन, भारत और नेपाल के त्रिकोणीय सीमा पर स्थित है, यह अली क्षेत्र का सबसे छोटी काउंटी है।

पुलान काउंटी से 564 नम्बर राष्ट्रीय मार्ग से गाड़ी पर सवार होकर उत्तर की ओर जाते , आप एक पीले रंग की पर्वत दीवार देखेंगे, जिनमें विभिन्न आकारों की गुफाएँ हैं, जिसे स्थानीय लोग "नेपाल भवन" कहते हैं।

गुफा में प्रवेश करते ही मानव आवास के निशान हर जगह मिलते हैं, छोटे मोटे पर समान आकार वाले पत्थर जमीन पर बिखरे हुए हैं, गुफाओं के अंदर अधिकांश जगहों में धुएं के निशान नजर आते हैं। हमारे संवाददाता बस सोच ही रहे थे कि किसी स्थानीय लोंगो से बात की जाए , तभी पलटकर उन्होंने देखा, कुछ नेपाली युवक पहाड़ के नीचे घरों के दरवाजों के पास खड़े मुस्कुरा रहे थे।

"हम यहाँ काम ढूँढने आए हैं, यहाँ ज्यादा मौके हैं।" दल के युवक नेता सिंह है, वह नेपाल की राजधानी काठमांडू के रहने वाले है, और बाकी साथी नेपाल-चीन सीमा के निकटीय गाँवों से आए हैं।

भविष्य के बारे में बात करते हुए, ये युवा बार-बार एक जगह का उल्लेख करते रहे हैं - वह है पुलान तांगगा सीमा व्यापार बाजार, जो उनके घरों से नदी के पार एक नई इमारत समूह में स्थित है।

तांगगा सीमापार व्यापार बाजार: 500 साल से अधिक पुराने व्यापार का नवजीवन

पुराणों के अनुसार, पुलान काउंटी में सीमा पार व्यापार का इतिहास 500 साल से अधिक पुराना है। 1951 में तिब्बत के शांतिपूर्ण मुक्ति के बाद, तांगगा सीमा व्यापार बाजार ने कई निर्माण और विकास के चरणों का सामना किया। 1995 से पहले, यहां केवल 70-80 बिना छत के कच्चे मकान थें , लेकिन आज यह विदेशी व्यापार क्षेत्र बन गया है और 98% व्यापारियों के निवास दर के साथ एक आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र बन चुका है, जिसमें रोजमर्रा की छोटी वस्तुओं, पर्यटन स्मृति सामग्रियों, जातीय शिल्पकारिता आदि वस्तुओं का विक्रय होता है, और इसकी वार्षिक कारोबार राशि लगभग 90 लाख युआन है।

हमारे संवाददाता के आने पर, नेपाल के लकड़ी कटोरे की दुकान के मालिक पेना लामा ग्राहकों को कुछ जानकारी दे रहे थे। "चाहे वह चीनी सरकार हो या चीनी लोग, वे सब हमारे साथ बहुत अच्छा व्यवहार करते हैं। मुझे यहां बहुत सारा प्यार और सुख मिलता है, मैं इस के लिए बहुत आभारी हूं!" लामा ने कहा।

सीमा के दूसरे मोड़ पर : देखें "पवित्र पर्वत" तले संवाद का मार्ग

पुलान सीमा चौकी चीनी राज्य परिषद द्वारा स्वीकृत एक राष्ट्रीय प्रथम श्रेणी की खुली भूमि चौकी है। यह भारत और नेपाल के लोगों के लिए "पवित्र पर्वत" और "पवित्र झील" की पूजा करने का प्रमुख मार्ग है। यह चीन, भारत और नेपाल के बीच राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और धार्मिक आदान-प्रदान के लिए भी एक महत्वपूर्ण चौकी है।

एक 10 मीटर से थोड़ी चौड़ी मोर नदी यहां शांति से बह रही है, जो पुलान सीमा चौकी को नेपाल के युसा गांव को बड़े प्यार से अलग करती है, जिससे सामने दृश्य को देखने की जिज्ञासा भरी रहती है।

मोर नदी के ऊपर बने निलंबन पुल को पार करने पर युसा गांव पहुँचते हैं। "युसा गांव भले ही बड़ा न हो, इसे शायद एक गांव भी नहीं कहा जा सकता, यह कहीं अधिक एक अस्थायी आवास स्थान जैसा प्रतीत होता है, लेकिन यह सीमा पर लोगों और मालों के आदान-प्रदान को सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण स्थल है।" पुलान काउंटी कमेटी के प्रचार विभाग से सेवानिवृत्त कर्मचारी चोउ वेनकियांग ने बताया, "सीमा व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के बढ़ने के साथ, शायद हम एक सीमा क्षेत्र के गांव के उदय को देख रहे हैं।"

पुलान जगह 'नमक और भेड़ के पुराने मार्ग' का अनिवार्य हिस्सा भी कहलाता है। 'नमक-भेड़ का पुराना मार्ग' पर आधारित वस्तु-व्यापार की परंपरा 1000 से अधिक सालों से चलती आ रही है, वह चीन और नेपाल के बीच की मित्रता का गवाह है। इस प्रकार के व्यापार संबंध ही सांस्कृतिक आदान-प्रदान और लोगों को पहचानने व जानने को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण आधार पथ है। पुलान के विकास की संभावना, शायद हमारी कल्पना से कहीं अधिक प्रबल हो सकती है।" श्री चओ वेनकियांग ने कहा।