चीनी वैज्ञानिकों ने प्रागैतिहासिक मातृसत्तात्मक सामाजिक संरचना के अस्तित्व की पुष्टि की
चित्र VCG से है
चीनी वैज्ञानिकों ने आणविक आनुवंशिकी प्रमाणों के आधार पर पुष्टि की है कि शानतुंग प्रांत के गुआंग-राओ ज़िले में स्थित फूजिया पुरातात्विक स्थल पर लगभग 4750 वर्ष पहले दो मातृवंशीय कुलों से मिलकर बना एक सामाजिक ढाँचा मौजूद था।
यह उपलब्धि विश्व स्तर पर पहली बार है जब वैज्ञानिक साक्ष्यों के माध्यम से प्रागैतिहासिक मातृसत्तात्मक सामाजिक संगठन के अस्तित्व की पुष्टि की गई है। यह भी पहली बार है जब आणविक आनुवंशिकी के प्रमाणों के आधार पर चीन के नवपाषाण युग में मातृसत्तात्मक समाज की संरचना को प्रमाणित किया गया है। वैज्ञानिकों की यह खोज उस धारणा को भी बदलती है कि मातृसत्तात्मक समाज की उत्पत्ति केवल यूरोपीय लौह युग के आनुवंशिकी सुरागों के अनुरेखण तक ही सीमित थी।
यह शोध-अध्ययन शानतुंग प्रांतीय सांस्कृतिक अवशेष और पुरातत्व अनुसंधान संस्थान तथा पेइचिंग विश्वविद्यालय समेत कई संस्थानों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। इससे संबंधित शोध-प्रबंध पत्र 4 जून को अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका “नेचर”(Nature) में प्रकाशित हो चुका है।
शानतुंग प्रांतीय सांस्कृतिक अवशेष और पुरातत्व अनुसंधान संस्थान के निदेशक सुन बो ने बताया कि इस खोज ने मॉर्गन और एंगेल्स द्वारा प्रस्तुत मातृसत्तात्मक समाज के सिद्धांतों के लिए प्रत्यक्ष रूप से एक पूर्वी प्रमाण प्रदान किया है, और यह मानव सभ्यता की उत्पत्ति से संबंधित अनुसंधान क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।
पेइचिंग विश्वविद्यालय के पुरातत्व और सांस्कृतिक विरासत कॉलेज के शोधकर्ता निंग चाओ ने बताया कि अब तक उपलब्ध सभी प्राचीन DNA अध्ययनों के निष्कर्षों से यह संकेत मिला था कि प्रागैतिहासिक समाज संगठन पितृसत्तात्मक रक्त-संबंधों के आधार पर होता था, और मातृसत्तात्मक समाज से जुड़े आनुवंशिक प्रमाण केवल यूरोप के लौह युग तक ही सीमित माने जाते थे।
पेइचिंग विश्वविद्यालय के पुरातत्व और सांस्कृतिक विरासत कॉलेज के शोधकर्ता चांग हाई ने भी बताया कि अनुसंधान दल ने उच्च-विभेदन प्राचीन DNA रक्त-संबंध पहचान तकनीक तथा बहु-विषयक अंतरअनुशासनिक शोध के उपयोग के आधार पर , प्रागैतिहासिक मातृसत्तात्मक सामाजिक संगठन के अस्तित्व की पुष्टि की है। शोध-अध्ययन ने नवपाषाण युग में पीली नदी के निचले तटीय क्षेत्रों में मातृवंशीय कुलों के सामाजिक संगठन की विशेषताओं, जनसंख्या आकार, आजीविका के तरीके और उत्पादन क्षमताओं जैसी महत्वपूर्ण जानकारियों का व्यापक रूप से खुलासा किया है। यह मानव इतिहास में प्रारंभिक सामाजिक संरचनाओं के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रगति मानी जाती है।