“आगे बढ़ता चीन”:पेड़ों की सुगंध में छुपी है लिंगनान की कला विरासत

“आगे बढ़ता चीन”:पेड़ों की सुगंध में छुपी है लिंगनान की कला विरासत

गुआंगतुंग प्रांत के तुंगक्वांग शहर के दालिंगशान पहाड़ों में स्थित डोंगुआन अगरू के अमूर्त विरासत संरक्षण उद्यान में सैकड़ों सुगंधित अगरू के पेड़ शांति से सदियों से खड़े हैं। डोंगगुआन अगरू, जो कि अगरवुड के पेड़ की चोट लगने पर निकलने वाले रेजिन से बनता है, एक कीमती सुगंधित पदार्थ है। इसकी "मधुर खुशबू व अतुल्य औषधीय गुणों" के कारण इसे "लिंगनान का रत्न" माना जाता है।

डोंगगुआन अगरू विरासत संरक्षण उद्यान के प्रमुख ने बताया कि तुंगक्वांग की उप-उष्णकटिबंधीय मानसूनी नमी जलवायु , वहां के पहाड़ी भू-आकृति इलाके की मंद क्षारीय मिट्टी और वहां की विशिष्ट जीवाणु पर्यावरण की बदौलत , अगरू वृक्ष के लिए सुगंधित रेजिन उत्पन्न करने का प्राकृतिक “गर्म बिस्तर” प्रदान करता है। "डोंगगुआन अगरू असल में पेड़ और समय के बीच संवाद की अमानत मानी जाती है।" राष्ट्रीय स्तर की अमूर्त विरासत परियोजना " के अन्तर्गत डोंगगुआन अगरू कला के निर्माता व उत्तराधिकारी ह्वांग ओउ ने उक्त जानकारी से हमें अवगत कराया।

आज के समय में डोंगगुआन अगरू प्राचीन ग्रंथों से निकलकर आधुनिक जीवन का हिस्सा बन गया है। दालिंगशान पहाड़ी का " डोंगगुआन अगरू की बस्ती " बागानों, संग्रहालयों और व्यापार केंद्रों को जोड़ती है। यहाँ सालाना तीन टन से अधिक अगरू आयुर्वेद का उत्पादन होता है, जिससे अब आयुवर्दिक तेल, त्वचा की देखभाल करने जैसे उत्पाद तैयार किये जाते हैं जिन्हें सीधे उपभोक्ताओं तक पहुँचाया जाता है। सुगंध कला की कक्षाएँ और खुद सुगंध इकठ्ठा करने के अनुभव आज की युवा पीढ़ी को बढ़ चढ़ कर आकर्षित कर रहे हैं। पारंपरिक प्राचीन शैली पोशाक और प्राचीन सुगंध की यह टकराहट एक नये फैशन को आगे बढ़ा रही है। हज़ारों वर्षों से चलती आ रही यह सुगंधित विरासत, अब नवीनतम दृष्टिकोण से लिंगनान धरती पर धूप अगरबत्ती की परंपरा को नया अन्दाज दे रही है।